Thursday, February 19, 2009

मैं हूं उनके साथ खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़

समाज में जो कुछ भी हो रहा है, उचित अनुचित उसके विषय में अपनी सोची समझी तर्कपूर्ण राय देना हमेशा हमारे लिए जरूरी होता है । अन्यथा हमारे अस्तित्व का कोई अर्थ नहीं । अन्याय जरूरी नहीं हमारे साथ ही हुआ हो, लेकिन उसका असर आज नहीं तो कल हम पर भी अवश्य पड़ेगा ही क्योकि हम व हमारा परिवार भी इसी समाज का एक अनिवार्य घटक हैं । ईमानदार व्यक्ति के साथ धोखा हो रहा है, नारी की अस्मिता खतरे में है, पड़ोसी देश पर तालिबान का कब्जा हो गया है या फिर हमारे ही पडोस में कोई सड़क पर अनाधिकारिक कब्जा कर दुकान खोल कर बैठा है । इस तरह की सभी घटनाआे का विरोध करना हमारे स्वार्थ के लिए ही अनिवार्य है । हां यह जरूर है कि इन बातों की चिंता करते हुए हम अपने स्वार्थ के साथ साथ कुछ अतिरिक्त कर रहे होते हैं । पड़ोसी के घर में लगी आग पर हम अपने हाथ नहीं सेक सकते । वह आग जल्द ही हमारे घर तक भी पहुंच जाएगी यदि हम समय रहते सावधानी नहीं बरतेंगे । इसलिए जितना जितना बन सके तमाशबीन बनने की जगह हालात व वक्त की फिजा़ को सही दिशा में लजाने का प्रयत्न हम सबको करना चाहिए । पड़ोसी के बिगडते बच्चे को देख तालियां पीटने की जगह उसे नेक सलाह देने की जिम्मेदारी हमीं को लेनी होगी क्योंकि वह पड़ोसी का बच्चा हमारे बच्चे का दोस्त है, उसकी विचारधारा, आदतें हमारे बच्चे पर हमारे भाषणों से अधिक असर डालेंगी । इसलिए जो सबके हित में हो , जो सबके लिए सही हो वही निर्णय लें क्योंकि आपका निर्णय ही सुनहरे भविष्य की मजबूत नींव रखेगा ।

1 comment:

Dr. SUDHA UPADHYAYA said...

is beridh jamaane me koun kiske saath khada hai khiarrrrrrrrrr lage raho santosh hota hai jo is jammmne me ab durlabh hai sudha upadhyaya