Tuesday, July 31, 2007

आज भी कबीर याद आते हें

आज कबीर क्यों याद आते हें , अक्सर सोचती हूँ। अपने जीवन में उलझे होने पर भी, बचपन में पढे उनके दोहे अचानक ही कभी मन में तो, कभी जीभ पर उछल आते हें। लेकिन जब भी आते हें , मेरी सारी उलझन को अपने साथ बहा ले जाते हैं . उनका आना और मन का निर्मल हो जाना पता ही नहीं जीवन में कब हो जाता हे । आज भी वे संघर्ष में शक्ति देते हैं । आम आदमी को आज भी समझ नहीं आता कि जब उसने कोई गलती नहीं की तो भी वह क्यों निरंतर अभाव सहन कर रहा है। समाज के बहुत से नियम कानून बदलाव की माँग करते हैं लेकिन समाज के ठेकेदार , तथाकथित नियम कानून बनाने वाले कुछ नहीं कर रहे , ऐसे में yaad आते हैं कबीर और उनके वचन ।

Monday, July 23, 2007

निरंतर बदलता जीवन

गति हम सब के जीवन को नियंत्रित कर रोचक बनाती हे । यह जानते हुए भी की बदलना हमारी नियति हे हम जब भी सुखी होते हें तो उस स्तिथी से बहार नहीं आना चाहते । यदि बच्चा बड़ा नहीं होगा, कलि खिलेगी नहीं, सागर का जल बदल बनकर धरती पर बरसेगा नहीं, सुबह सूर्य की किरणें हमें ना उठाएं तो क्या हम कभी जीवन में आगे बढ पाएँगे। ये सब बदलाव तो शायद हम सब को अच्छे लगते हें , पर बूढ़े होना, फूल का झड़ जाना, गरमी में तपना, रात में जागना कोई ना चाहेगा । यह हमारी सहज प्रवृति हे की वे सभी बदलाव जो हमें जीवन में विकास की ओर ले जाते हे स्वीकार होते हें।

Monday, July 2, 2007

स्कूल से कॉलेज सभी जीवंत बहुत आजकल बहुत व्यस्त है, सही कॉलेज की तलाश में दर-दर भटक रहे है। विभिन्न कॉलेज और स्कूल चाहें तो इसका सरल हल निकाल सकते है। कम से कम मानव शक्ति के खर्च द्वारा हम इन युवा जोशीले दिमागों को बिना भटके दिशा दे सकते है । यदि एक ही क्षेत्र में पड़ने वाले स्कूल और कॉलेज आपस में जानकारी का आदान-प्रदान कर सकें तो शायद बच्चों को अपनी पसंद का कोर्स अपने ही क्षेत्र में मिल जाये और वो भटकने से बच जाएँ । इस तरीके से उनका बहुत सा समय और शक्ति बच पायेगी जिसे वे कुछ रचनात्मक करने में लगा सकेंगें ।