Monday, July 23, 2007
निरंतर बदलता जीवन
गति हम सब के जीवन को नियंत्रित कर रोचक बनाती हे । यह जानते हुए भी की बदलना हमारी नियति हे हम जब भी सुखी होते हें तो उस स्तिथी से बहार नहीं आना चाहते । यदि बच्चा बड़ा नहीं होगा, कलि खिलेगी नहीं, सागर का जल बदल बनकर धरती पर बरसेगा नहीं, सुबह सूर्य की किरणें हमें ना उठाएं तो क्या हम कभी जीवन में आगे बढ पाएँगे। ये सब बदलाव तो शायद हम सब को अच्छे लगते हें , पर बूढ़े होना, फूल का झड़ जाना, गरमी में तपना, रात में जागना कोई ना चाहेगा । यह हमारी सहज प्रवृति हे की वे सभी बदलाव जो हमें जीवन में विकास की ओर ले जाते हे स्वीकार होते हें।
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