Wednesday, November 26, 2008
समाधान सतत जागृत रहने से ही संभव
महिलाओं और बच्चों के लिए वयस्क समाज अक्सर संवेदनशील नहीं होता । उनकी इच्छाओं और सोच को परिवार की निर्णय लेने वाली इकाई किसी गिनती में ही नहीं लाते । इसी का परिणाम है चाहते न चाहते, जाने अनजाने उन पर अत्याचार । परिवार ही नहीं समाज की अन्य इकाइयों में भी हम देखते है चाहे स्कूल में बच्चे हों या फिर आफिस में काम करने वाली सामान्य स्तर की महिला कर्मी दोनों की ही बात नहीं सुनी जाती । हमेशा दूसरों द्वारा लिए गए निर्णय ही उन पर लादे जाते हैं । जो भी अधिकार की कुर्सी पर बैठा है वह अक्सर ही बिना हालात की गहराई को समझे अपनी सोच समझ और साथ ही अंहकार के चलते निर्णय लेता है । अधिकार की कुर्सियों पर जब तक जाति, लिंग, धर्म, धन या अन्य किसी भी अहंकार को लेकर मनुष्य बैठेगा, या जब तक मनुष्य बनकर मनुष्य नहीं बैठे और निर्णय लेगा तब तक अन्याय होता ही रहेगा ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
7 comments:
बधाई और स्वागत
देखें हमारा ब्लॉग
www.asuvidha.blogspot.com
अशोक
आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे । हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे । हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ब्लॉग जगत में स्वागत है
अब, आज 27 नवम्बर के दिन
आईये हम सब मिलकर विलाप करें
swagat aapka chitthajagat par.aapke maqngalmaya bhvishya ki kamnayen.
bhoopendra singh
लोगों में जन चेतना जगाते रहिये
अधिकार की बात सर्वत्र उठाते रहिये...
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
द्वारा - सुलभ पत्र - Hindi Kavita Blog
hamare yahan to prime minister or president tak jati ke aadhar par vhune jate hai. narayan narayan
Post a Comment